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लेखनी प्रतियोगिता -26-Jun-2022

कर्म 

कर्म नहीं जीवन में तो मंजिल कहाँ से पाएगा,
लक्ष्य नहीं तो जीवन नीरस बन जाएगा।

देखा है छोटी सी चिड़िया को,
नित भोजन की तलाश करती है,
कभी मिलता दाना कभी खाली लौट आती है,
नहीं कभी हार मानती अगले दिन
फिर कर्म पर अपने लग जाती है।

सूर्य चन्द्रमा धरती तारे सदा क्रियाशील रहते हैं,
निःस्वार्थ भाव से सदा कर्म अपना करते हैं,
मौसम बदलते हैं इंसान भी बदल जाता है,
रहकर अपने कर्म पर अडिग संसार में पूजे जाते हैं।

कर्म से न घबरा कर्म तू किए जा,
कर्म ही है साधना कर्म ही है अराधना,
कर्म ही साध्य है कर्म ही अराध्य है,
कर्म से जीवन चला कर्म रुका जीवन रुका।

संघर्षों से न घबरा संघर्षों को तू हरा,
सत्यता पर रह अडिग कर्म पथ पर चले जा,
त्याग कर आलस को तू लक्ष्य को साध जरा,
बन कर्म वीर तू किस्मत अपनी सँवार जा।

श्वेता दूहन देशवाल 
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 

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7 Comments

Punam verma

27-Jun-2022 08:20 AM

Nice

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Abhinav ji

27-Jun-2022 07:38 AM

Very nice👍

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Swati chourasia

27-Jun-2022 06:16 AM

बहुत ही बेहतरीन रचना 👌

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